दिल का दरिया बह ही गया
राहों में यूँ जो तू मिल गया
मुश्किल से मैं सँभला था, हाँ
टूट गया हूँ फिर एक दफ़ा
बात बिगड़ी है इस क़दर
दिल है टूटा, टूटे हैं हम
तेरे बिन अब ना लेंगे एक भी दम
तुझे कितना चाहें और हम?
तेरे बिन अब ना लेंगे एक भी दम
तुझे कितना चाहें और हम?
तेरे साथ हो जाएँगे ख़तम
तुझे कितना चाहें और हम?
वक्त ने है किया हम पे कैसा सितम?
तुम भी बेज़ार हो, बर्बाद हैं हम
जाने किस रास्ते मुझ को ले जाएँगे
बेदिशा ये मेरे डगमगाते क़दम
साथ देती परछाइयाँ
और मेहरबाँ हो रहे ग़म
तेरे बिन अब ना लेंगे एक भी दम
तुझे कितना चाहें और हम?
तेरे साथ हो जाएँगे ख़तम
तुझे कितना चाहें और हम?
(तुझे कितना चाहें और हम?)