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तुझसे दूर मैं एक ही वजह के लिए हूँ

कमज़ोर हो जाता हूँ मैं

तुझसे दूर मैं एक ही वजह के लिए हूँ

आवारा बन जाता हूँ मैं

तुझसे दूर मैं एक ही वजह के लिए हूँ

कमज़ोर हो जाता हूँ मैं

तुझसे दूर मैं एक ही वजह के लिए हूँ

आवारा बन जाता हूँ मैं

तुझे छू लूँ तो कुछ मुझे हो जाएगा

जो मैं चाहता ना हो मुझ को

तुझे मिल के ये दिल मेरा बह जाएगा

इसी बात का डर है मुझ को

कि हो ना जाए प्यार तुम से मुझे

कर देगा बर्बाद इश्क़ मुझे

हो ना जाए प्यार तुम से मुझे

बेहद-बेशुमार तुम से

तेरी नज़दीकियों में ऐसा ख़ुमार है

तेरी क़ुर्बत से मेरा दिल क्यूँ बेक़रार है?

क्यूँ ये मिटती नहीं है? कैसी ये प्यास है?

जितना मैं दूर जाऊँ, उतनी ही तू पास है

तुझे कह दूँ या रहने दूँ राज़ मेरे?

सब कुछ कह दूँ क्या तुझ को?

तू मुझ को छोड़ जाएगी या आएगी पास मेरे

इसी बात का डर है मुझ को

कि हो ना जाए प्यार तुम से मुझे

कर देगा बर्बाद इश्क़ मुझे

हो ना जाए प्यार तुम से मुझे

बेहद-बेशुमार तुम से

इन ग़मों को ख़तम कर रहे हो तुम

इन ग़मों को ख़तम कर रहे हो तुम

ज़ख़्मों का मरहम बन रहे हो तुम

महसूस मुझे ऐसा क्यूँ हो रहा

कि मेरी दुनिया बन रहे हो तुम?

बन रहे हो तुम

तेरे बिन क्या ये दिल अब धड़क पाएगा

पूछता हूँ मैं ये ख़ुद को

तेरे आने से दर्द चला जाएगा

इसी बात का डर है मुझ को

कि हो ना जाए प्यार...

कि हो ना जाए प्यार...

कि हो ना जाए प्यार तुम से मुझे

कर देगा बर्बाद इश्क़ मुझे

हो ना जाए प्यार तुम से मुझे

बेहद-बेशुमार तुम से

इश्क़ मुझे, इश्क़ मुझे

बर्बाद मुझे (बर्बाद), इश्क़ मुझे

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