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Khai Thi Kasam Ek Raat Sanam

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खाई थी क़सम इक रात सनम

तूने भी किसी के होने की होने की

अब रोज़ वहीं से आती है

आवाज़ किसी के रोने की, रोने की

खाई थी क़सम

आती है तेरी जब याद मुझे

बेचैन बहारें होती हैं

आती है तेरी जब याद मुझे

बेचैन बहारें होती हैं

मेरी ही तरह इस मौसम में

घनघोर घटाएँ रोती हैं

कहती है फ़िज़ा रो मिल के ज़रा

ये रात है मिल के रोने की रोने की

खाई थी क़सम

माँगी थी दुआ कुछ मिलने की मगर

कुछ दर्द मिला कुछ तन्हाई

माँगी थी दुआ कुछ मिलने की मगर

कुछ दर्द मिला कुछ तन्हाई

तू पास ही रह कर पास नहीं

रोती है मिलन की शहनाई

हसरत ही रही इस दिल के हसीं

अरमानों के पूरे होने की, होने की

खाई थी क़सम इक रात सनम

तूने भी किसी के होने की होने की

अब रोज़ वहीं से आती है

आवाज़ किसी के रोने की रोने की

खाई थी क़सम

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