शाम-सवेरे तेरी यादें आती हैं
आ के दिल को मेरे यूँ तड़पाती
ओ, सनम, मोहब्बत की क़सम
मिल के बिछड़ना तो दस्तूर हो गया
यादों में तेरी मजबूर हो गया
ओ, सनम, इन यादों की क़सम
समझे ज़माना कि दिल है खिलौना
जाना है अब क्या है दिल का लगाना
नज़रों से अब ना हमको गिराना
मर भी गए तो भूल ना जाना