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Raat ke humsafar with tanuja

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रात के हमसफ़र, थक के घर को चले

झूमती आ रही है सुबह प्यार की

देख कर सामने, रूप की रोशनी

फिर लुटी जा रही है सुबह प्यार की

सोने वालों को हँसकर जगाना भी है

रात के जागतों को सुलाना भी है

दिल की है जागने की सदा साथ ही

लोरियाँ गा रही हैं सुबह प्यार की

रात के हमसफ़र...

रात ने प्यार के जाम भर कर दिए

आँखों-आँखों से जो मैंने तुमने पिए

होश तो अब तलक जा के लौटे नहीं

और क्या ला रही है सुबह प्यार की

रात के हमसफ़र...

क्या-क्या वादे हुए किसने खाई कसम

इस नयी राह पर हमने रखे कदम

छुप सका प्यार कब हम छुपाएँ तो क्या

सब समझ पा रही है सुबह प्यार की

रात के हमसफ़र...

Labels: 1960s ,

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