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ये दूरियाँ बढ़ाते हो

पास ना बुलाते हो

सफ़र का अब मज़ा नहीं

ना काँधे पे तुम सुलाते हो

ये फ़ासलों की दीवारों से

देखो मुझे दरारों से

पुकारती वो तितलियाँ

चल फ़िर चलें बहारों में

आओ हुज़ूर, आओ हुज़ूर तुम

आओ हुज़ूर, आओ हुज़ूर तुम

चलें कहीं, चले कहीं हम

खोएँ तारों की महफ़िल में

आओ हुज़ूर, आओ हुज़ूर तुम

आओ हुज़ूर, आओ हुज़ूर तुम

चलें कहीं, चले कहीं हम

खोएँ तारों की महफ़िल में

झूठ मेरे माफ़ कर

मैं हूँ यहीं, तू बात कर

मैं सुन रहा शिकायतें

मैं बदलूँगा आदतें

सजा के तुझको मैं रख लूँगा

कड़वे सच को मैं चख लूँगा

लगी नज़र इस दुनिया की

काजल अपने साथ

लाओ हुज़ूर, लाओ हुज़ूर तुम

आओ हुज़ूर, आओ हुज़ूर तुम

चलें कहीं, चले कहीं हम

खोएँ तारों की महफ़िल में

आओ हुज़ूर, आओ हुज़ूर तुम

आओ हुज़ूर, आओ हुज़ूर तुम

चलें कहीं, चले कहीं हम

खोएँ तारों की महफ़िल में

आओ हुज़ूर, आओ हुज़ूर

आओ हुज़ूर, आ भी जाओ, हुज़ूर

चलें कहीं, चलें कहीं

तारों की महफ़िल में

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