ऐ फूलों की रानी, बहारों की मलिका
तेरा मुस्कुराना, गज़ब हो गया
न दिल होश में है, न हम होश में हैं
नज़र का मिलाना, गज़ब हो गया
तेरे होंठ क्या हैं, गुलाबी कंवल हैं
ये दो पत्तियां प्यार की इक गज़ल है
वो नाज़ुक लबों से मुहब्बत की बातें
हमीं को सुनाना गज़ब हो गया
ऐ फूलों की रानी...
कभी खुल के मिलना, कभी खुद झिझकना
कभी रास्तों पर बहकना मचलना
ये पलकों की चिलमन, उठाकर गिराना
गिराकर उठाना, गज़ब हो गया
ऐ फूलों की रानी...