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Dil Ki Purani (Unplugged)

Samidh Mukherjeehuatong
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ना साँसो से शिकवा, ना मिटने का डर है

तुझी से, तुझी तक ये मेरा सफ़र है

तुझे सोचता हूँ तो खुशबू सी बरसे

अँधेरों से मेरे उजाले यूँ छलके

के दरिया बहे जैसे एक नूर का

तू रूह का हमनवा है

ये जिस्मों का रिश्ता नहीं

मुझे थाम कर चल रहा है

तू ही बस, तू ही हर कहीं

दिल की पुरानी सड़क पर

बदला तो कुछ भी नहीं

मुझे थाम कर चल रहा है

तू ही बस, तू ही हर कहीं

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