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धीमे धीमे चले पुरवैया,

बोले थाम तू मेरी बैयां,

संग चल मेरे रोके क्यों जीया,

हो.. धीमे धीमे चले पुरवैया

रुत ये अनोखी सी आई सजनिया,

बादल की डोली में लो बैठी रे बूंदानिया,

धरती से मिलने को निकले सावनिया,

सागर में घुलने को चली देखो नदिया

धीमे धीमे चले पुरवैया,

हो.. बोले थामा तू मेरी बैयां,

संग चल मेरे रोके क्यों जीया,

हो.. धीमे धीमे चले पुरवैया

नया सफर है एक नया हौसला,

बंधा चिड़ियों ने नया घोषला,

नई आशा का दीपक जला,

चला सपनों का नया काफिला

कल को करके सलाम,

आचल हवाओं का थाम,

देखो उड़ी एक धानी चुनरिया हो

धीमे धीमे चले पुरवैया,

हो.. बोले थाम तू मेरी बैयां,

संग चल मेरे रोके क्यों जीया,

हो.. धीमे धीमे चले पुरवैया

आ.. आ.. आ.. पुरवैया..,

चले पुरवैया नया..

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