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Yeh Na Thi Hamari Qismat

Ustad Amanat Ali Khanhuatong
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आह आ आ आ आ आ आ आ आह आ आ आ आ आ आ आ

ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता

ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता

अगर और जीते रहते, यही इंतज़ार होता

ये ना थी हमारी क़िस्मत

तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना

तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना

के खुशी से मर न जाते, अगर ऐतबार होता

ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता

ये ना थी हमारी क़िस्मत

ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेः

ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेः

कोई चारा साज़ होता, कोई गम गुसार होता

ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता

ये ना थी हमारी क़िस्मत

ये मसा-एल-ए-तसव्वुफ़, ये तेरा बयान, ग़ालिब

ये मसा-एल-ए-तसव्वुफ़, ये तेरा बयान, ग़ालिब

तुझे हम वाली समझते, जो न बादह खार होता

ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता

ये ना थी हमारी क़िस्मत

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