menu-iconlogo
huatong
huatong
avatar

Shri Durga Chalisa

Shailendra Bharttihuatong
mizbiz0614huatong
歌詞
レコーディング
नमो नमो दुर्गे सुख करनी

नमो नमो अंबे दुःख हरनी

निरंकार है ज्योति तुम्हारी

तिहूं लोक फैली उजियारी

शशि ललाट मुख महाविशाला

नेत्र लाल भृकुटि विकराला

रूप मातु को अधिक सुहावे

दरश करत जन अति सुख पावे

तुम संसार शक्ति लै कीना

पालन हेतु अन्न धन दीना

अन्नपूर्णा हुई जग पाला

तुम ही आदि सुन्दरी बाला

प्रलयकाल सब नाशन हारी

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें

रूप सरस्वती को तुम धारा

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा

धारा रूप नरसिंह को अम्बा

परगट भई फाड़कर खम्बा

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं

श्री नारायण अंग समाहीं

क्षीरसिन्धु में करत विलासा

दयासिन्धु दीजै मन आसा

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी

महिमा अमित न जात बखानी

मातंगी अरु धूमावति माता

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता

श्री भैरव तारा जग तारिणी

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी

केहरि वाहन सोह भवानी

लांगुर वीर चलत अगवानी

कर में खप्पर खड्ग विराजै

जाको देख काल डर भाजै

सोहै अस्त्र और त्रिशूला

जाते उठत शत्रु हिय शूला

नाग कोट में तुम्हीं विराजत

तिहुंलोक में डंका बाजत

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे

रक्तबीज शंखन संहारे

महिषासुर नृप अति अभिमानी

जेहि अघ भार मही अकुलानी

रूप कराल कालिका धारा

सेन सहित तुम तिहि संहारा

परी गाढ़ संतन पर जब जब

भई सहाय मातु तुम तब तब

अमरपुरी अरु बासव लोका

तब महिमा सब रहें अशोका

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी

तुम्हें सदा पूजें नर-नारी

प्रेम भक्ति से जो यश गावें

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई

जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी

शंकर आचारज तप कीनो

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको

शक्ति रूप का मरम न पायो

शक्ति गई तब मन पछितायो

शरणागत हुई कीर्ति बखानी

जय जय जय जगदम्ब भवानी

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा

मोको मातु कष्ट अति घेरो

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो

आशा तृष्णा निपट सतावें

रिपू मुरख मौही अती डरपावे

शत्रु नाश कीजै महारानी

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी

करो कृपा हे मातु दयाला

ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं

दुर्गा चालीसा जो गावै

सब सुख भोग परमपद पावै

देवी दाश शरण निज जानी

करहु कृपा जगदम्ब भवानी

करहु कृपा जगदम्ब भवानी

सरनागत रक्षा करे भक्त रहे दी संख नीज मैं आया तेरी सरण मैं मतो लीजिए अंग

Shailendra Bharttiの他の作品

総て見るlogo

あなたにおすすめ