मेरे दर्द की तू ही वजह, तू ही दवा भी
तो क्यूँ ये दिल का तू ही डर, तू ही ख़ुदा भी?
अब मेरी हो गई रातों से दोस्ती
ग़लती से नींद जो आए, हर सपना क्यूँ तेरा ही?
ख़ुद से सारे ही सवालों के मैं चाहूँ
ज़िकर जवाबों के मैं पाऊँ
फिर यूँ ही मुझसे मैं हारता ही रहूँ
मेरे दर्द की तू ही वजह, तू ही दवा भी
तो क्यूँ ये दिल का तू ही डर, तू ही ख़ुदा भी?
लम्हों में (लम्हों में) जैसे ना सुकूँ सा है
क़ाबू सा करे मुझ पे (मुझ पे), तेरा ये जुनूँ क्या है? ओ
ख़ुद से सारे ही सवालों के मैं चाहूँ
ज़िकर जवाबों के मैं पाऊँ
फिर यूँ ही मुझसे मैं हारता ही रहूँ
मेरे दर्द की तू ही वजह, तू ही दवा भी
तो क्यूँ ये दिल का तू ही डर, तू ही ख़ुदा भी?
मेरे दर्द की तू ही वजह, तू ही दवा भी
तो क्यूँ ये दिल का तू ही डर, तू ही ख़ुदा भी?