जहाँ से दिखे सारा जहाँ, ज़रा पास हो वो आसमाँ
जहाँ चाँद आके झाँके जब खुलती हों खिड़कियाँ
जहाँ चेहरे पे छींटे पड़ें, जब ले समंदर करवटें
जहाँ सब हो अपना, ना किराए पे मिले ख़ुशियाँ
हो गुनगुनी सी दोपहर, और मख़मली शाम हो
आवारा से इन ख़्वाबों को भी थोड़ा आराम हो
ओ-ओ, आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो
ओ-ओ, आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो
ओ-ओ, आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो
ओ-ओ, आशियाँ (आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो)
आशियाँ (आशियाना, आशियाना, आशियाना)
ओ, घर के बाहर यूँ हो ज़रा, नाम हो लिखा तेरा-मेरा
तेरा-मेरा, तेरा-मेरा, तेरा-मेरा
ओ, बेफ़िकर सा रहे जहाँ, इश्क़ चाहे करें वहाँ
कभी यहाँ, कभी वहाँ, कभी यहाँ
बस फ़ुरसतें ही फ़ुरसतें हों, ना कोई काम हो
T.V. पे picture चल रही हो, हाथों में जाम हो
ओ-ओ, आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो
ओ-ओ, आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो
ओ-ओ, आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो, ओ-ओ
बारिशें खुलके जब भी घर हमारे आएँ
गाने Gulzar के मिलके गुनगुनाएँ
हाँ, बारिशें खुलके जब भी घर हमारे आएँ
गाने Gulzar के मिलके गुनगुनाएँ
सौंधी-सौंधी सी ख़ुशबुओं में भीगे दोनों
अदरक की चाय की चुस्कियाँ लगाएँ
हाँ, हों दूर इतने उस ज़मीं से यूँ लगे ऐसे
हाँ, जुगनुओं से जलते-बुझते लोग हों जैसे
ओ-ओ, आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो
ओ-ओ, आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो
ओ-ओ, आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो
ओ-ओ, आशियाँ (आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो)
आशियाँ (आशियाना, आशियाना, आशियाँ ऐसा हो)