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ऐसी मररनी जो मारे

बहुरि ना मरना होए

कबीरा मरता मरता जग मुआ

मर भी ना जाने कोई

क्या जाने कीव माररांगे

कैसा मरना होए

जे कर साहिब मनहु ना विसरे

तां सेहल मरना होए

तान सेहल मरना

मरना

मरना होए

किथे तुरदा लब्दा फिरदा

साया नाल साहिब दा

जीन तो पहले मुकदा क्यों वे

जुधन तो ज़्यादा टुटदा

हर धुन गाओ निर्गुण निरभउ

हर धुन सुन निर्गुण निरवैर

हर धुन गाओ निर्गुण निरभउ

हर धुन सुन निर्गुण निरवैर

पैर लम्मे निक्की चद्रां

कफ़न ने पूरा ढकना

जो वि खाया वोह था अपना

बाक़ी तां अहमद शाह दा

सुफ़ने तू झूठे चखदा फिरदा

शहद वी खट्टा लगदा हाय

जीन तो पहले मुकदा क्यों वे

जुधन तो ज़्यादा टूटन

हर धुन गाओ निर्गुण निरभउ

हर धुन सुन निर्गुण निरवैर

हर धुन गाओ निर्गुण निरभउ

हर धुन सुन निर्गुण निरवैर

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