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देखूँ मैं देखूँ इन बादलों की कश्तियों में

भागे मन मेरा कहीं दूर

चाहत है ऐसी इन बादलों की कश्तियों से

उड़ जाऊँ बहकर कहीं दूर

दिल की सुनता ना काहे, खोले सब उलझे धागे

डर क्यूँ लगता कि करे भूल?

भँवरे उठते हैं सारे, अब लागे मन ना माने

रू-ब-रू सपने हैं क़ुबूल

बढ़ता हूँ तेरे ओर

बढ़ता हूँ तेरे ओर

बढ़ता हूँ तेरे ओर

बढ़ता हूँ तेरे ओर

फ़लक तक उड़ता मेरा दिल

के वहीं मुझे जाए सपना मिल

फ़लक तक उड़ता मेरा दिल

के वहीं मुझे जाए सपना मिल

फ़लक तक उड़ता मेरा दिल

के वहीं मुझे जाए सपना मिल-मिल जाए

देखूँ मैं देखूँ ये चाँद-तारे बन के सारे

भागे सवेरे से हैं दूर

अंबर की ऊँची, ऊँची-ऊँची चोटियों पे

चढ़ के दिखता है ऐसा नूर

दिल की सुनता ना काहे, खोले सब उलझे धागे

डर क्यूँ लगता कि करे भूल?

भँवरे उठते हैं सारे, अब लागे मन ना माने

रू-ब-रू सपने हैं क़ुबूल

बढ़ता हूँ तेरे ओर

बढ़ता हूँ तेरे ओर

फ़लक तक उड़ता मेरा दिल

के वहीं मुझे जाए सपना मिल

फ़लक तक उड़ता मेरा दिल

के वहीं मुझे जाए सपना मिल-मिल जाए

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