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Kaha Gaye Mamta Bhare Din

Roop Kumar Rathod/Sadhana Sargamhuatong
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कहाँ गए ममता भरे दिन

कैसे कोई जिए माँ तेरे बिन

कहाँ गए ममता भरे दिन

कैसे कोई जिए माँ तेरे बिन

ओ माँ तुझे ढूँढूं मैं कहाँ

ओ माँ के बिना सुना है जहां

कौन भला दुनिया में

माँ की जगह ले सके

कोई कह दे क्या होती है माँ

आखिर माँ होती है माँ

कहाँ गए ममता भरे दिन

कैसे कोई जिए माँ तेरे बिन

कहाँ गए ममता भरे दिन

कैसे कोई जिए माँ तेरे बिन

ओ माँ तुझे ढूँढूं मैं कहाँ

ओ माँ के बिना सुना है जहां

हाथों से खिलाय के

बाहों में झुलाये के

बहनो की राह में

तूने नज़रें बिछा दी

लोरियां सुनाय के

हमको सुलाय के

अपना न सोचा हमपे

नींदें भी लुटा दी

माँ की परछाई

हाँ है मेरा भाई

कौन भला दुनिया में

माँ की जगह ले सके

कोई कह दे क्या होती है माँ

आखिर माँ होती है माँ

बाबुल का प्यार तू

माँ का दुलार तू

तेरे होते माँ बाबुल

की याद भी न आयी

तू हमारा वीर है ये

भी तकदीर है

बहनों की राखी चुमे

भैया की कलाई

धूप क्या पता नहीं

गम क्या पता नहीं

तेरे साये में ममता

की छाँव ही मिली है

आंसू क्या पता नहीं

दर्द क्या पता नहीं

तेरे अंगना में ये

कलियाँ फूल सी खिली हैं

माँ की परछाई

हाँ है मेरा भाई

कौन भला दुनिया में

माँ की जगह ले सके

कोई कह दे क्या होती है माँ

तेरे जैसी हाँ होती है मान

ममता भरे हर पल हर दिन

कैसे मिलेंगे भैया हमें तेरे बिन

ममता भरे हर पल हर दिन

कैसे मिलेंगे भैया हमें तेरे बिन

चाहे कोई ढूंढ ले जहां

ऐसा भाई मिलेगा कहाँ

है ये दुआ हर भाई

भाई हो तेरी तरह

माँ जैसी शीतल पुरवैया

हाँ आखिर है अपना भैया.

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