फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ,हवा भी है रवाँ रवाँ
सुना रहा है ये समा सुनी सुनी सी दास्ताँ
फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ..
पुकारते हौइं दूर से, वो क़ाफ़िले बहार के
बिखर गए हैं रंग से, किसीके इन्तज़ार में
लहर लहर के होंठ पर, वफ़ा की हैं कहानियाँ
सुना रहा है ये समा सुनी सुनी सी दास्ताँ
फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ..
बुझी मगर बुझी नहीं, न जाने कैसी प्यास है
क़रार दिल से आज भी न दूर है न पास है
ये खेल धूप छाओं का,ये पर्वतें ये दूरियाँ
सुना रहा है ये समा सुनी सुनी सी दास्ताँ
फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ..
हर एक पल को ढूँढता हर एक पल चला गया
हर एक पल विसाल का, हर एक पल फ़िराक़ का
हर एक पल गुज़र गया, बनाके दिल पे इक निशाँ
सुना रहा है ये समा सुनी सुनी सी दास्ताँ
फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ,हवा भी है रवाँ रवाँ
सुना रहा है ये समा सुनी सुनी सी दास्ताँ
फ़िज़ा भी है जवाँ जवाँ,