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Lyricist : Amir Khusro

Composer : Traditioanl

ए, सकल बन, सकल बन

फूल रही सरसों, सकल बन

फूल रही सरसों, सकल बन

अम्बवा फूटे, टेसू फूले

अम्बवा फूटे, टेसू फूले

गोरी करत शृंगार, मालनिया

गड़वा ले आई करसों, सकल ब

फूल रही सरसों, सकल बन

फूल रही सरसों, (सकल बन)

(नी-नी-सा, नी-नी-प-म-प)

(नी-नी-सा, नी-नी-प-म-प)

(नी-नी-सा, नी-नी-प-म-प)

(नी-नी-सा, नी-नी-प-म-प)

(नी-नी-सा, नी-नी-प-म-प)

तरह-तरह के फूल मँगाए

(तरह-तरह के फूल मँगाए)

ले गड़वा हाथन में आए

(ले गड़वा हाथन में आए)

निज़ामुद्दीन के दरवाज़े पर

(मेरे निज़ामुद्दीन के दरवाज़े पर)

ओ, मोहे आवन कह गए आशिक़ रं[02:03.750]और बीत गए बरसों, सकल बन

फूल रही सरसों, सकल बन

फूल रही सरसों, सकल बन

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