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Kaabil

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가사
नींद लेकर मेरी वो किसी और के साथ सोता है

हाथ छोड़ कर मेरा वो किसी और बाँहों में होता है

नींद लेकर मेरी वो किसी और के साथ सोता है

हाथ छोड़ कर मेरा वो किसी और बाँहों में होता है

वो ख़ुश नहीं मुझसे, मैं यार के क़ाबिल नहीं

नफ़रत करो मुझसे, मैं प्यार के क़ाबिल नहीं

अब उसके क़ाबिल क्या, मैं ख़ुद के क़ाबिल नहीं

नफ़रत करो मुझसे, मैं प्यार के क़ाबिल नहीं

हक़ीक़त मान बैठे थे पत्थर के फूलों को

ख़ूबसूरत थे, लेकिन ख़ुशबू नहीं आती थी

आज उनकी वजह से जान देने को दिल है

जिनको देख कर जान ये जाती थी

Eemaan ਵੇ, ਤੂੰ ਤਾਂ ਇਤਬਾਰ ਦੇ ਕਾਬਿਲ ਨਹੀਂ

नफ़रत करो मुझसे, मैं प्यार के क़ाबिल नहीं

अब उसके क़ाबिल क्या, मैं ख़ुद के क़ाबिल नहीं

नफ़रत करो मुझसे, मैं प्यार के क़ाबिल नहीं

रोशनी में होकर अँधेरों में रह गए

तेरे बाद भी तेरे ही रह गए

रोशनी में होकर अँधेरों में रह गए

तेरे बाद भी तेरे ही रह गए

जीतना तो क्या, मैं हार के क़ाबिल नहीं

(हार के क़ाबिल नहीं)

नफ़रत करो मुझसे, मैं प्यार के क़ाबिल नहीं

अब उसके क़ाबिल क्या, मैं ख़ुद के क़ाबिल नहीं

नफ़रत करो मुझसे...