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Humsafar

suyyash raihuatong
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मैं यहाँ, तू वहाँ, कहने को कुछ भी ना

अब रहा, अब रहा

तेरे-मेरे दरमियाँ प्यार की वो गर्मियाँ

अब कहाँ, अब कहाँ

कम हैं, मुकम्मल से हैं

अधूरे से ज़्यादा हैं

आधा मेरे पास दिल

तेरे पास आधा है

कहने को हमसफ़र हैं

बस कहने को हमसफ़र हैं

पर हैं जुदा, हैं जुदा

बस कहने को हमसफ़र हैं

हाँ, कहने को हमसफ़र हैं

पर हैं जुदा, हैं जुदा

इश्क़ है तेरे मिलने की ख़ुशी

तुझे खोने का डर भी इश्क़ है

तेरे इश्क़ में रहता हूँ मैं

मेरा नाम-पता और घर भी इश्क़ है

है एक पल में मोहब्बत

नफ़रत है पल दूसरे

बेबस कभी तो कभी हैं

तुझ से सभी आसरे

क्या जितने भी ग़म बने थे

सब के लिए हम बने थे?

क़दमों की है दूरी, मगर

क्यूँ बदला मेरा रहगुज़र?

कहने को हमसफ़र हैं

बस कहने को हमसफ़र हैं

पर हैं जुदा, हैं जुदा

बस कहने को हमसफ़र हैं

हाँ, कहने को हमसफ़र हैं

पर हैं जुदा, हैं जुदा

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