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Yeh Arzoo Thi Tujhe

Ustad Amanat Ali Khanhuatong
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가사
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ये आरजू थी तुझे गुल के रूबरू करते

ये आरजू थी तुझे गुल के रूबरू करते

हम ओर बुलबुले बेताब गुफ्तगू करते

ये आरजू

पयामबर ना मयस्सर हुआ तो खूब हुआ

पयामबर ना मयस्सर हुआ तो खूब हुआ

जबान-गैर से क्या आशरहे आरज़ू करते

ये आरजू

मेरी तरह से माह मेहर भी है आवारा

मेरी तरह से माह मेहर भी है आवारा

किसी हबीब की ये भी है जुस्तुजू करते

ये आरजू थी

ना पूछ आलम-ए-बर्दाश्ता तालई आतिश

ना पूछ आलम-ए-बर्दाश्ता तालई आतिश

बरसती आग जो बारा की आरजू करते

ये आरजू थी तुझे गुल के रूबरू करते

ये आरजू थी

ये आरजू ये आरजू

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