पल पल जीना मुहाल मेरा तेरे बिना
ये सारे नशे बेकार तेरी आँखों के सिवा
घर नहीं जाता मैं बाहर रहता तेरा इंतजार
मेरे ख्वाबों में आ ना करके सोलह सिंगार
मैं अब क्यों होश में आता नहीं सुकून ये दिल क्यों पता नहीं
क्यों तोड़ूं खुद से जो थे वादे जाए अब ये इश्क़ निभाना नहीं
मैं मोड़ूं तुझसे जो ये चेहरा दुबारा नज़र मिलाना नहीं
ये दुनिया जाने मेरा दर्द तुझे ये नज़र क्यों आता नहीं
सोनिये यूँ तेरा शरमाना मेरी जान न ले ले
कान के पीछे ज़ुल्फ़ छुपाना मेरी जान क्या कहने
ज़ालिमा, तौबा तेरा नखरा इसके वार क्या कहने
थाम के बैठे दिल को घायल कहीं हार न बैठे
तेरी नज़रें मुझसे क्या कहती हैं इनमें वफ़ा बैठी है
थोड़ी-थोड़ी सी राज़ी थोड़ी सी ख़फ़ा रहती हैं
लोग हैं ज़ालिम बड़े इनमें जफ़ा देखी है
ये दुनिया तेरी नहीं मैंने तुझमें हया देखी है
जीना मुहाल मेरा तेरे बिना
ये सारे नशे बेकार तेरी आँखों के सिवा
घर नहीं जाता मैं बाहर रहता तेरा इंतजार
मेरे ख्वाबों में आ ना करके सोलह सिंगार