menu-iconlogo
logo

Zara Kareeb

logo
Lirik
ज़रा करीब तो आओ

के ज़िंदगी कम हैं

ज़रा करीब तो आओ

के ज़िंदगी कम हैं

मुझे गले से लगाओ

के ज़िंदगी कम हैं

मुझे गले से लगाओ

के ज़िंदगी कम हैं

ज़रा करीब तो आओ

ये बाद मिज़ाज़ अंधेरे

डरा रहे हैं मुझे

ये बाद मिज़ाज़ अंधेरे

डरा रहे हैं मुझे

हर एक नज़र में वाफफा ओ की

रोशनी कम हैं

हर एक नज़र में वाफफा ओ की

रोशनी कम हैं

मुझे गले से लगाओ

के ज़िंदगी कम हैं

ज़रा करीब तो आओ

यहाँ से डोर भी जाए तो

हम कहाँ जाए

यहाँ से डोर भी जाए तो

हम कहाँ जाए

तमाम शहेर के मौसम में

ताज़गी कम हैं

तमाम शहेर के मौसम में

ताज़गी कम हैं

मुझे गले से लगाओ

के ज़िंदगी कम हैं

ज़रा करीब तो आओ

कहीं सुकून का इक पल

नसीब हो ना सका

कहीं सुकून का इक पल

नसीब हो ना सका

कहीं शोर जीयादा हैं

तो कहीं कम हैं

कहीं शोर जीयादा हैं

तो कहीं कम हैं

मुझे गले से लगाओ

के ज़िंदगी कम हैं

ज़रा करीब तो आओ

चला था लब पे

कोई आग का दरियाँ लेकर

चला था लब पे

कोई आग का दरियाँ लेकर

मिल हूँ तुमसे तो लगता हैं

टीशनगी कम हैं

मिल हूँ तुमसे तो लगता हैं

टीशनगी कम हैं

मुझे गले से लगाओ

के ज़िंदगी कम हैं

ज़रा करीब तो आओ.

Zara Kareeb oleh Ahmed & Mohammed Hussain/Ustad Mohammed Hussain - Lirik dan Liputan