मैंने ख़ाबों में तुम्हारा नूर देखा है
दिल ने भी तुम को कहीं तो ज़रूर देखा है
मैं रोज़ तेरा चेहरा सुनहरा आँखों में लेके जगा
क्या जानता था तू ही था मेरा, अब जो मिला तो लगा
देर से ही सही, मगर तू मिला, मिला तो है ना
धीरे-धीरे सही, मगर फ़ासला मिटा तो है ना
देर से ही सही, मगर तू मिला, मिला तो है ना
धीरे-धीरे सही, मगर फ़ासला मिटा तो है ना
तुझ से किसी भी बहाने मैं रोज़ मिलता रहूँ
खुद को भी मैं जान लूँगा, जो मैं तुझे जान लूँ
तू जो दिखाए, देखे निगाहें, तू जो सुनाए, सुनूँ
साँसों की है अब किसे ज़रूरत? तेरे भरोसे जियूँ
देर से ही सही, मगर तू मिला, मिला तो है ना
धीरे-धीरे सही, मगर फ़ासला मिटा तो है ना
देर से ही सही, मगर तू मिला, मिला तो है ना
धीरे-धीरे सही, मगर फ़ासला मिटा तो है ना