कहता है
है ज़िन्दगी तू
क्यू मुझ में फिर मिलता नहीं
देता है
ऐसा सफर क्यूँ
है मंज़िले जिन की नही
कह दे खुदा है कैसा खुदा तू
जो बस में तेरे कुछ नही
हां कोई तो वजह होगी जो यूँ
है मजबूर तू भी कहीं
हो, वो, ओ
आ, ना रे , ना
जितना तलाशु तू मिलता नही
ये फितरत तेरी तू बदलता नही, हो, ओ
जितना तलाशु तू मिलता नही
ये फितरत तेरी तू बदलता नही तू बता
ऐसा क्यू, तेरी मर्ज़ी चलाता है तू
जीते जी यूँ जलाता है तू
इश्क़ में जीने ना दे तू
ओर मरने भी देता नहीं
कहता है
है हम सफर तू
फिर साथ क्यू देता नही
क्या है खफा या है बेवफा तू
जो सुनता मेरी कुछ नही
हां कोई तो वजह होगी जो यूँ
है मजबूर तू भी कहीं
हो, वो, ओ
कह दे खुदा है कैसा खुदा तू
जो बस में तेरे कुछ नही
हां कोई तो वजह होगी जो यूँ
है मजबूर तू भी कहीं
हो, वो, ओ