दिल से निकालूँ कैसे काँटे?
तेरी ख़ुशबू अभी भी मुझे याद है
तुझे लिखूँ तो फ़िर रूह तेरी काँपे
तस्वीरें फ़िर क्यूँ रखीं बना के?
जला दे, जला दे
मुझे राख़ में रख ले, पनाह दे
तबाह है जहाँ ये
कभी आ के मुझे देना ना दिलासे
मुझे तू यादों से भीगा दे
मैं करूँ तेरी बातें, करूँ तेरी बातें
शामों को मेरी तू सजा दे
दे-दे आ के राहतें, तू दे-दे आ के राहतें
मुझे तू यादों से भीगा दे
मैं करूँ तेरी बातें, करूँ तेरी बातें
शामों को मेरी तू सजा दे
दे-दे आ के राहतें, तू दे-दे आ के राहतें
वो पा के मुझे क्यूँ तबाह है
तेरे जैसा तूझी को मिला है
ख़ुद को जाने ना, तू ही ख़ुदा है
आया दर तेरे, तू जा चुका है
जहाँ भी देखा मैंने पलकों को खोला भी ना
बस तेरा चेहरा दिखा
सपनों में आजा मेरे, बेचैनी मेरी ले जा
हँसता रहूँ बेवजाह
तू आए, बुझाए ये जलती सी शामें
जवाँ हों ये साँसें, जब तू आ के मुझे थामे
मुझे तू यादों से भीगा दे
मैं करूँ तेरी बातें, करूँ तेरी बातें
शामों को मेरी तू सजा दे
दे-दे आ के राहतें,तू दे-दे आ के राहतें
मुझे तू यादों से भीगा दे
मैं करूँ तेरी बातें, करूँ तेरी बातें
शामों को मेरी तू सजा दे
दे-दे आ के राहतें, तू दे-दे आ के राहतें