तुम बिन जाऊं कहाँ
तुम बिन जाऊं कहाँ की दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा कभी तुमको चाह के
तुम बिन जाऊं कहाँ की दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा कभी तुमको चाह के
तुम बिन...
रह भी सकोगे तुम कैसे हो के मुझसे जुदा
फट जाएँगी दीवारें सुन के मेरी सदा
आना होगा तुम्हें मेरे लिए साथी मेरी
सूनी राह के.
तुम बिन जाऊं कहाँ की दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा कभी तुमको चाह के
तुम बिन...
इतनी अकेली सी पहले थी यही दुनिया
तुमने नज़र जो मिलायी बस गयी दुनिया
दिल को मिली जो तुम्हारी लगन दिए जल गए
मेरी आह के.
तुम बिन.जाऊं कहाँ.
तुम बिन जाऊं कहाँ की दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा कभी तुमको चाह के