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Baagh Ka Kareja

Manoj Tiwari/Aditya Dev/Dr. Sagarhuatong
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जेका बाघ का करेजा देके ऊपर वाला भेजा

जेका बाघ का करेजा देके ऊपर वाला भेजा

ओका काई डेरवाई गुनहगार नगरी, हा

जेका बाघ का करेजा देके ऊपर वाला भेजा

ओका काई डेरवाई गुनहगार नगरी

जो सारा जीवन दुख झेला, हर-दम खतरे से खेला

जे सारा जीवन दुख झेला, हर-दम खतरे से खेला

अब रोक के दिखाए ए अंगार नगरी

हो, जेका बाघ का करेजा देके ऊपर वाला भेजा

ओका काई डेरवाई गुनहगार नगरी, हा

अरे, ज्वाला रोक के दिखाए, जिसको आना है ऊ आए

(आना है वो आए, जिसको आना है वो आए)

हो, ज्वाला रोक के दिखाए, जिसको आना है ऊ आए

ये जो चल पड़ी है प्रलय की धार नगरी

हो, महाकाल विकराल लागे, कालों का भी काल

महाकाल विकराल लागे, कालों का भी काल

गर्म लोहे की करेजा को सँभाल डगरी

हो, ज्वाला रोक के दिखाए, जिसको आना है ऊ आए

ये जो चल पड़ी है प्रलय की धार डगरी, हा

ओ, जेका बाघ का करेजा देके ऊपर वाला भेजा

ओका काई डेरवाई गुनहगार नगरी, हा

घायल शेर की हूँकार, टूटे धैर्य की टंकार

घायल शेर की हूँकार, टूटे धैर्य की टंकार

अब तो होगा आर-पार, किसके बाप की गढ़ी?

हो, होगी ऐसी हाहाकार...

अरे, होगी ऐसी हाहाकार, भीषण वार, सौ संघार

कोई रोके रक्त-धार की फव्वार गगरी, हा

हो, जेका बाघ का करेजा देके ऊपर वाला भेजा

ओका काई डेरवाई गुनहगार नगरी

जो सारा जीवन दुख झेला, हर-दम खतरे से खेला

अब रोक के दिखाए ए अंगार नगरी, हा

ज्वाला रोक के दिखाए, जिसको आना है ऊ आए

ये जो चल पड़ी है प्रलय की धार डगरी, हा

हो, महाकाल विकराल लागे, कालों का भी काल

गर्म लोहे की करेजा को सँभाल डगरी

हो, घायल शेर की हूँकार, टूटे धैर्य की टंकार

अब तो होगा आर-पार, किसके बाप की गढ़ी?

होगी ऐसी हाहाकार, भीषण वार, सौ संघार

कोई रोके रक्त-धार की फव्वार गगरी

ओ, जेका बाघ का करेजा देके ऊपर वाला भेजा

ओका काई डेरवाई गुनहगार नगरी, हा

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