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Megha Das(Santiniketan,West Bengal)
थाने निरख निरख मुसकांवाँ, हरख हरख हर्षावा हाँ
चाँद सरीसो है उणियारो, ईं पर वारि जावाँ म्हें ।
आवो म्हारे पास मिजाजी *, म्हासुं नैण मिलावो जी ।
अब तो रह्यो न जावे पल भी, आ हिवड़े लग जाओ जी। आ हिवड़े लग जाओ जी । थाने काजळियो बणा ल्युं,
म्हारे नैणा में रमा ल्युं,
राज, पलकां में बंद कर राखुली हो.. हो राज पलकों में बंद कर राखुली।
थाने काजळियो बणा ल्युं,
म्हारे नैणा में रमा ल्युं,
राज,पलकां में बंद कर राखुली हो..हो
राज पलकां में बंद कर राखुली ।
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पलकां माय बंद होया तौ, नींद किंया फिर आवेली।
फिर तो पिव नै गौरी थारी याद घणी तडफावेली ।
मन रे माय बसाय राखलं,
रंग प्रीत रौ राचेलो।
मनड़ो नौ नौ ताल मिजाजण,
थारो पल पल नाचेलो..
थारो पल पल नाचेलो।
थाने नौसर हार बणा ल्युं,
म्हारे मनड़े सुं लगाल्युं,
चुनड़ी म छुपाय थाने राखंली हो..हो
चुनड़ी म छुपाय थाने राखंली।
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चुनड क चारू पल्लां प पिव रौ नाम लिखायो जी ।
छैल छबीलो रूप पिया को,
गोरी क मन भायो जी ।
आपां जनम जनम का साथी,
साथ कदेई नी छूटे।
प्रीत प्रेम की डोरी को, औ
नातो कदेई नी टूटे..
नातो कदेई नी टूटे।
थाने मोतीड़ो बणा ल्युं,
अंगूठी क माय सजा ल्युं
अंगुली में पेराय थाने राखुली हो.. हो अंगुली में पेराय थाने राखुली।
थाने काजलियो बणा ल्युं, म्हारे नैणा में रमा ल्युं,
राज,पलकों में बंद कर राखुली हो.. हो
राज पलकों में बंद कर राखुली ।