तेरे ख्वाबों के रस्तों में
कई आँधियाँ आएँगी
उड़ेगी धुल जो क़दमों से
तुझे वह पास ले जाएगी
अपनी जो मंज़िल है
तेरी हर जीत की
रुकना अब तुझ को नहीं
खोलेगा तू हर डोर नइ
बादल से आगे दूर कहीं
तू उड़ जा रे
रुकना अब तुझ को नहीं
खोलेगा तू हर डोर नइ
बादल से आगे दूर कहीं
तू उड़ जा रे
जो जलाय आग तेरे अन्दर सीने में
उसको तो तू अब बुझा दे
बढ़े जा तू अब काँटो को जला के
तेरे आगे हैं अब इशरे उनको तू सुन ले यूँ
रुकना अब तुझ को नहीं
खोलेगा तू हर डोर नइ
बादल से आगे दूर कहीं
तू उड़ जा रे