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Raakh

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Letra
जला-जला सहरा है

साया हुआ गहरा है

है हर जगह रात ही रात ये

लौटी नहीं फिर सुबह है

ज़ख्म भरा कुरेदो ना

बुझी ये राख जला लो ना

तनहा हैं सन्नाटे, डरते हैं ये खुद से

उलझे हैं ये जज़्बे अपने ही जाल में

ज़ख्म भरा कुरेदो ना

बुझी ये राख जला लो ना

ज़ख्म भरा कुरेदो ना

यादों से आग जला लो ना

दर्द को कहीं थमा दे आज

युद्ध से तू भी मिला ले आँख

दर्द को कहीं थमा दे आज

मंज़िलों को भी दिखा दे राह

Raakh de Anand Bhaskar – Letras & Covers