परछाइयों से तेरी छूटे ना
अब समझे ना मन मेरा
इन रिश्तों के धागों से बँधा हुआ
अब तू ना जाने क्यूँ
राहों से दूर क्यूँ ऐसी धूप?
मन है पंछी मेरा, भागे तेरी ओर, तू डाल दाना
मौक़ा तो दे मुझको, जितने वादे ये सब को है निभाना
थोड़ी ग़लती जब करूँगा, रूठना ना मुझसे ज़्यादा
हाँ, मैं थोड़ा पागल हूँ, पर दूर मुझसे ना जाना
परछाइयों से तेरी छूटे ना
अब समझे ना मन मेरा
इन रिश्तों के धागों से बँधा हुआ
अब तू ना जाने क्यूँ
राहों से दूर क्यूँ ऐसी धूप?