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एक संस्कारी लड़की ने दिल पे डाला डाका

हम ब्रह्मचारी लड़कों का जिससे भिड़ा टाका

एक संस्कारी लड़की ने दिल पे डाला डाका

हम ब्रह्मचारी लड़कों का जिससे भिड़ा टाका

फिर आन पड़ी (हइशा), दुविधा की घड़ी (हइशा)

जब सुंदरी की तीर-ए-नज़र उसके पड़ोसी से लड़ी

(हो-हो-हो-हो, फिर क्या हुआ?)

फिर रात ढली हमारी अगरबत्ती जला के

रात ढली हमारी अगरबत्ती जला के

मौज करे पड़ोसी मगर बत्ती बुझा के

मौज करे पड़ोसी मगर बत्ती बुझा के

अरे, दिल-जले आशिक़ों में जुगलबंदी मचा के

दिल-जले आशिक़ों में जुगलबंदी मचा के

मौज करे पड़ोसी मगर बत्ती बुझा के

सत्यानाश, आए-हाए, सत्यानाश

पड़ोसी निगोड़े, होगा तेरा सत्यानाश

सत्या-सत्या सत्यानाश, आए-हाए, सत्यानाश

पड़ोसी निगोड़े, होगा तेरा सत्या-सत्या सत्यानाश

हम बनके रहे (भैया), कहलाते मगर (सैयाँ)

ज़ालिम पड़ोसी (हइया), आता ना अगर (दैया)

जिस हसीना पे मोहल्ला था फ़िदा (ओए-होए), उसे भाया क्यूँ वही कमीना? (ओए, how?)

हाँ, कमीने ने बटोरी मलाई (ओए-होए), अपनी चाहत की दही जमी ना (hey!)

सेज सूनी हमारी फूल-बत्ती सजा के

सेज सूनी हमारी फूल-बत्ती सजा के

मौज करे पड़ोसी..., (आए-हाए)

मौज करे पड़ोसी मगर बत्ती बुझा के

रात ढली हमारी अगरबत्ती जला के

रात ढली हमारी अगरबत्ती जला के

मौज करे पड़ोसी मगर बत्ती बुझा के

मौज करे पड़ोसी मगर बत्ती बुझा के

सत्यानाश, आए-हाए, सत्यानाश

पड़ोसी निगोड़े, होगा तेरा सत्यानाश

सत्या-सत्या सत्यानाश, आए-हाए, सत्यानाश

पड़ोसी निगोड़े, होगा तेरा सत्या-सत्या सत्यानाश

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