BY:- ARVIND KUMAR
जिनके कारण, गलियों गलियों,भटके थक कर चूर हुए
बिच डगर में छोड़ के देखो,वो भी हमसे दूर हुए
कर भला होगा भला,अंत भले का भला
कर भला होगा भला,अंत भले का भला
आज सब कुछ है तेरा,कल का है किसकोह पता
आज सब कुछ है तेरा,कल का है किसकोह पता
कर भला होगा भला,अंत भले का भला
जैसा कोई बीज है बोता ,वैसी चढती बेला यहाँ
कैसा राजा कौन भिखारी,सब कर्मों का खेल यहाँ
साथ किसी के मेला,कोई भटके अकेला
कर भला होगा भला,अंत भले का भला
आज सब कुछ है तेरा,कल का है किसकोह पता
कर भला होगा भला,अंत भले का भला
जीवन कम है दूर है मंज़िल,सपनो में न डोल जरा
नींद में बीती जाये उमरिया,आँख मुसाफिर खोल जरा
देख तेरे जीवन का,एक दिन और ढला
कर भला होगा भला,अंत भले का भला
घर बसते है रोज़ जहा में.बसके उजड़ने के लिए
मिलता है हर एक यहाँ पर,मिलके बिछड़ने के लिए
चलती डगर है दुनिया,एक आया एक चला
कर भला होगा भला,अंत भले का भला
कल जो करेगा आज भरेगा,ये नगरी जो पार की है
मूरख अब क्यू नीर बहाए,रीत यही संसार की है
दीप जो बुझाय किसी का,तेरा भी बुझेगा दिया
कर भला होगा भला,अंत भले का भला
कर भला होगा भला,अंत भले का भला.
THANKS & REGARDS