menu-iconlogo
huatong
huatong
Letra
Gravações
ना भरी महफ़िलों में बुलाया करो

तन्हाइयाँ नाराज़ हो जाती हैं

नींद आँखों से ओझल सा हो गया

पर वो आराम से कितने सो जाती है

तुमने दिल्लगी की नमाज़ें पढ़ाईं, हमने तो वफ़ा में वफ़ा ही ना पाई

हम पतझड़ के पत्तों से हैं बिखरे-बिखरे, मिला सर्द मौसम और उसकी रुसवाई

हम अश्क़ों में अपने ही डूबे रहे, ना किनारों से उसने आवाज़ें लगाई

हम रह-रह के क़ैद अपनी ही सिसकियों में, क्या तू रोने की देता हमको कमाई?

हाँ, सोते कि फ़िर से वो सपनों में आए

फ़िर आँखें खुलीं और वो खो जाती है

नींद आँखों से ओझल सा हो गया

पर वो आराम से कितने सो जाती है

तुमको पता ना कि क्या हमपे बीते, ख़ुद से तुम पूछो कि क्या कह दिया

शक़ से ना चलती मोहब्बत की साँसें, जाने बिना बेवफ़ा कह दिया

मैं तेरी थी, तेरी हूँ, तेरी क़सम, तेरा दिल तोड़ूॅं, ऐसा गुनाह ना किया

बयाॅं ना कर पाऊँ कि कितना असर, दर्द जो तूने वफ़ा को दिया

तक़लीफ़ों में दिन मेरे ढलते रहे

और अश्क़ों में शामें गुज़र जाती हैं

उनसे ख़फ़ा, पर ना उनको ख़बर

ये दीवानी भी उसकी ना सो पाती है

तन्हा रातों में एक नाम याद आता है, कभी सुबह, कभी शाम याद आता है

जब सोचते हैं, कर लें दोबारा से मोहब्बत, तेरी मोहब्बत का अंजाम याद आता है

ज़ख़म देकर ना पूछ मेरे दर्द की शिद्दत, दर्द तो दर्द, कम, ज़्यादा क्या?

दिल पे हाथ रख के खुद से से तू पूछ, क्या? मैं तुझे याद नहीं आता क्या?

मिला सुकून मेरे दिल को, जब जलाई जो सँभाल रखी फ़ोटो यार की

खोखले थे, रूखे, मुरझा से गए हैं, इस पेड़ को मिल जाए जैसे धूप प्यार की

रातें माँगती हिसाब मेरी आँखों से, बहुत भारी चढ़ा नींद का जो कर्ज़ा है

हाँ, याद आया तेरे जो थे आख़िरी अल्फ़ाज़, "जी सके तो जी लेना, मर जाए तो ही अच्छा है"

वो हर कोने में हमको देती सुनाई

ना आवाज़ ख़ामोश हो पाती है

नींद आँखों से ओझल सा हो गया

पर वो आराम से कितने सो जाती है

Mais de Ikka Singh/Sunidhi Chauhan/Sanjoy

Ver todaslogo

Você Pode Gostar