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Mohan Kannanhuatong
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एक अजनबी ख़याल ने

किसी की मध भरी निगाह ने

मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया

की देखो क़ैद कैसे कर दिया

एक अजनबी ख़याल ने

किसी की मढ़ भारी निगाह ने

मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया

की देखो क़ैद कैसे कर दिया

था कितनी आँखो का

यूँ शोर मच रहा

की तूने इस घड़ी मुझे ही यूँ चुना

था कितनी आँखो का

यूँ शोर मच रहा

की तूने इस घड़ी मुझे ही यूँ चुना

यूँ खोया बाहों मे की कुछ अजब हुआ

ये धड़कने मेरी इन्हे ये क्या हुआ

एक अजनबी ख़याल ने

किसी की मध भारी निगाह ने

मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया

की देखो क़ैद कैसे कर दिया

यूँ मिसने जा रही है गीली रात ये

क्यू इसमे डूब के है हम बहेक रहे

यूँ मिसने जा रही है गीली रात ये

क्यू इसमे डूब के है हम बहेक रहे

ये कैसी चाहतें मुझे सता रही

मुझी से दूर यूँ मुझे बुला रही

एक अजनबी ख़याल ने

किसी की मध भारी निगाह ने

मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया

की देखो क़ैद कैसे कर दिया

वो रात चुप है जो छुआ रही है कुछ

वो चाँदनी भी तो बता रही ना कुछ

ये ख्वाहीसो का है जो अकेले चल पड़ा

कहाँ थामेगा ये कोई ना कह सका

एक अजनबी ख़याल ने

किसी की मध भारी निगाह ने

मुझे यूँ क़ैद कैसे कर दिया

की देखो क़ैद कैसे कर दिया

एक अजनबी हम्म्म हम्म्म हम्म्म

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