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Bhooli Bisri

Muhammad Ali/Paras Nathhuatong
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भूली बिसरी चंद उमीदें

चंद फ़साने याद आए

भूली बिसरी चाँद उमीदें

चंद फ़साने याद आए

चंद फ़साने याद आए

तुम याद आए और तुम्हारे

साथ ज़माने याद आए

साथ ज़माने याद आए

भूली बिसरी चंद उमीदें

दिल का नगर आबाद था फिर भी

खाक सी उड़ती रहती थी

खाक सी उड़ती रहती थी

कैसे ज़माने ऐ ग़म-ए-दौरा

तेरे बहाने याद आए

तेरे बहाने याद आए

भूली बिसरी चंद उमीदें

हँसने वालों से डरते थे

छुप छुप कर रो लेते थे

छुप छुप कर रो लेते थे

गहरी गहरी सोच में डूबे

दो दीवाने याद आए

दो दीवाने याद आए

तुम याद आए और तुम्हारे

साथ ज़माने याद आए

भूली बिसरी चंद उमीदें

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