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Letra
दिल ने सही है

तेरे ज़िम्मे की सज़ा

की सज़ा

कैसे कहु ना कहु

दर्द की ये दास्तान

दिल ने सही है

तेरे ज़िम्मे की सज़ा

की सज़ा

कैसे कहु ना कहु

दर्द की ये दास्तान

गर्दिश में था दिल मेरा

उस रात.. उस रात

कहा था तूने मुझे

घर के दरवाज़े पे

It's Over

मंज़र कुछ ऐसा था

21 October की रात का

दिल मेरा तोड़ा के

किसी और का दिया साथ था

हुए ना सितम ख़तम तेरे

उफ़ वहाँ... उफ़ वहाँ

पूरी करी थी कसर तूने

कह के मुझे ना लौटना

दिल ने सही है

तेरे ज़िम्मे की सज़ा

की सज़ा

कैसे कहु ना कहु

दर्द की ये दास्तान

नये होगी दिल्लगी

हम से दूजी दफ़ा

नये होगी दिल्लगी

हम से दूजी दफ़ा

नये होगी दिल्लगी

हम से दूजी दफ़ा

नये होगी दिल्लगी

हम से दूजी दफ़ा