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Mai Kabhi

Omar Mukhtarhuatong
saab1huatong
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मै कभी

तुझ से यह कहता नही

चुप के मे रोता कभी

ऐ जिंदगी

समझाना सारी उमर

लंबा बडा है सफ़र

रखना संभल के कदम

ऐ अजनबी

तारे तोड़ लया मे

चाँद खोज आया मे

दिल की रवानी ना जानी

जवानी मै भूल गया

फ़लसफ़े सुना चूका

वक़्त को रोक के कहा

दिल की जवानी ना जानी

कहानी मे ढूँढ रहा

हम्म हम्म हम्म , हो हो

मैने भी देखे नज़ारे वो सारे पुराने

जो किस्सो में सुनते हां लब्ज़ो से हारे

नज़ाने कहाँ पे वो इक दरया मे बह गया

हम लोगो की सुनते बाते

ना खुद को पहचाने

बस ज़ुल्म बिक रहा है

हा दुख दिख रहा है

यह इंसान नही है ना है यह उसका बंदा

मै कभी

तुझ से यह कहता नही

चुप के मे रोता कभी

ऐ जिंदगी

समझाना सारी उमर

लंबा बरा है सफ़र

रखना संभल के कदम

ऐ अजनबी

तारे तोड़ लया मे

चाँद खोज आया मे

दिल की रवानी ना जानी

जवानी मै भूल गया

फ़लसफ़े सुना चूका

वक़्त को रोक के कहा

दिल की जवानी ना जानी

कहानी मे ढूँढ रहा

हम्म हम्म हम्म हो हो

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