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Hanuman Aarti

Vipin Sachdeva/Aarav Mishrahuatong
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लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर

बज्र देह दानव दलन, जै जै जै कपिसूर

पवनसुत हनुमान की जै!

आरती कीजै हनुमान लला की

आरती कीजै हनुमान लला की

दुष्ट डलन रघुनाथ कला की

(आरती कीजै हनुमान लला की)

(आरती कीजै हनुमान लला की)

जाके बल से गिरिवर कांपे

रोग दोष जाके निकट न झांपे

अनजनी पुत्र महाबलदायी

संथन के प्रभु सदा सुहाई

(आरती कीजै हनुमान लला की)

(आरती कीजै हनुमान लला की)

दे बीरा रघुनाथ पठाए

लंका जारी सिया सुध लाए

(लंका सो कोट समुद्र सी खाई)

(जात पवनसुत बार न लाई)

लंका जारी असुरसंगारे

सियारामजी के काज संवारे

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे

आणि सजीवन प्राण उबारे

(पैठी पताल तोरि जम कारे)

(अहिरावण की भुजा उखाड़े)

बाएं भुजा असुरदल मारे

दाहिने भुजा संतजन तारे

सुर-नर-मुनि आरती उतारे

जै जै जै हनुमान उचारे

कंचन थार कपूर लौ छाई

आरती करत अंजना मायी

जो हनुमान की आरती गावै

बसी बैकुंठ परमपद पावै

(आरती कीजै हनुमान लला की)

(आरती कीजै हनुमान लला की)

(आरती कीजै हनुमान लला की)

(आरती कीजै हनुमान लला की)

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