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साहित्यं : 🙏🙏श्रीधर भास्कर वर्णेकरः 🙏🙏
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
वचसा सततम् वदनीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
वचसा सततम् वदनीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
न भोग भवने रमणीयम्
न च सुख शयने शयनीयम्
न भोग भवने रमणीयम्
न च सुख शयने शयनीयम्
अहर्निशम् जागरणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
अहर्निशम् जागरणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
न जातु दुःखम् गणनीयम्
न च निज सौख्यम् मननीयम्
न जातु दुःखम् गणनीयम्
न च निज सौख्यम् मननीयम्
कार्य क्षेत्रे त्वरणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
कार्य क्षेत्रे त्वरणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
दुःख सागरे तरणीयम्
कष्ट पर्वते चरणीयम्
दुःख सागरे तरणीयम्
कष्ट पर्वते चरणीयम्
विपत्ति विपिने भ्रमणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
विपत्ति विपिने भ्रमणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
गहनारण्ये घनान्धकारे
बन्धु जना ये स्थिता गह्वरे
गहनारण्ये घनान्धकारे
बन्धु जना ये स्थिता गह्वरे
तत्र मया सन्चरणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
तत्र मया सन्चरणीयम्
लोकहितम् मम करणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
मनसा सततम् स्मरणीयम्
🙏🙏धन्यवादाः🙏🙏