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Rahen Na Rahen Hum

Abhimanyu-Pragyahuatong
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जब हम न होंगे जब हमारी

खाक पे तुम रुकोगे चलते चलते

अश्को से भीगी चाँदनी में

इक सदा सी सुनोगे चलते चलते

वहीं पे कहीं, वहीं पे कहीं हम तुमसे मिलेंगे

बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में

रहें ना रहें हम, महका करेंगे

बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में

रहे ना रहे हम

खोये हम ऐसे क्या है मिलना

क्या बिछड़ना नहीं है याद हमको

गुंचे में दिल के जब से आये

सिर्फ़ दिल की ज़मीं है, याद हमको

इसी सरज़मीं, इसी सरज़मीं पे हम तो रहेंगे

बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में

रहें ना रहें हम महका करेंगे

बन के कली बन के सबा बाग़े वफ़ा में

रहें ना रहें हम

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