पहली दफ़ा जब तुम मुझसे मिलने आए थे
जाएबों में हाथ भर के जज़्बात लाए थे
कल की यादों को हुँने कल हे में तांगा था
गुज़रा हुआ वक़्त हुँने कल में ना माँगा था
काँधे पे बस्ता लिए मुझसे मिलने आए थे
बस्ते में जी भर के तुम ख्वाब लाए थे
ख्वाबों को हाथों से आसमान पे रखा था
रातों को फिर जाग के हे इनको हे ताका था
ख्वाबों के चूरे मेरी आँखों में हे अब चुभते हैं
जज़्बात अब कहाँ इस सूखी ज़मीन पे उगते हैं
पर तेरा शहेर गुलाबी सुफ़ैएद फूलों से भरा है
हर ओर बर्फ की चादर और तू चुहले के बगल में पड़ा है
इक दफ़ा मुझसे मिलने आ जाओ
कुछ ना लाओ तुम खुद आ जाओ
बाहों में ना सही आँखों में भर लूँगा
उस एक लम्हे में मैं फिर उमर हे को तार लूँगा
इक दफ़ा मुझसे मिलने आ जाओ
कुछ ना लाओ तुम खुद आ जाओ
इक दफ़ा मुझसे आ जाओ
कुछ ना लाओ तुम खुद आ जाओ
इक दफ़ा मुझसे आ जाओ