जगी जगी, ना सोई रातें
उड़ने लगी है दिल की पतंगें
नज़र आए, मुझे बुलाए
अब सारे रास्ते
मैं बोलूँ ना कुछ, ना सुने तू भी
आँखों से हों बातें हमारी
तरसाए, हाँ, क्यूँ सताए
अब सारे फ़ासले
तेरी नादानियाँ, मैं शामिल हुआ, मैं यूँ
देखो ना मुझे क्या हो रहा है
पूरी जो करूँ तेरी सारी ख़्वाहिशें दबी दबी सी रातों में
तूने लिखी थी किताबों में
पूरी जो करूँ तेरी सारी ख़्वाहिशें दबी दबी सी रातों में
तूने लिखी थी किताबों में है
तू जो है तो मैं हूँ, तुझ को ही ढूँढूँ मैं हरपल
तेरे साथ रह कर बानाऊँ अपना इक नया सा कल
मैं लाऊँ ज़मीं और आसमाँ दूँ लाके
शामओसुबह, दिनरात को मिला के
आधा तेरा, आधा मेरा बनाएँ इक नया ये जहाँ
तेरी नादानियाँ, मैं शामिल हुआ, मैं यूँ
देखो ना मुझे क्या हो रहा है
पूरी जो करूँ तेरी सारी ख़्वाहिशें दबी दबी सी रातों में
तूने लिखी थी किताबों में
पूरी जो करूँ तेरी सारी ख़्वाहिशें दबी दबी सी रातों में
तूने लिखी थी किताबों में