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Pyar Badhta Hai

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बगिया हमारी में खिल गईं प्यारी रे

फुलझड़ियाँ, रे फुलझड़ियाँ

बाबू सरकारी जो हमरी तरकारी को बोले बढ़िया

हैं छोले बढ़िया

अरे, अपना-पराया क्या, जो मिले, हँस लो

थाली में जो भी आए, थोड़ा-थोड़ा चख लो

हाय, तीखे-मीठे के संग, यार

थाली में जब अचार पड़ता है

ऐसे ही, भैया, प्यार बढ़ता है

जैसे चटनी बिना क्या समोसे

मीठी ख़ुशियों का तीखे ग़मों से

धीमे-धीमे व्यवहार बढ़ता है

ऐसे ही, भैया, प्यार बढ़ता है, हो

बगिया हमारी में खिल गईं प्यारी रे

फुलझड़ियाँ, रे फुलझड़ियाँ

बाबू सरकारी जो हमारी तरकारी को बोले बढ़िया

हैं छोले बढ़िया

अरे, इधर-उधर की छोड़ो

ये गुटर-गुटर-गूँ छोड़ो

सीधी भाषा में उत्तर तो बता दो

अरे, खिटर-पिटर बातों को

यूँ कुतर-कुतरना छोड़ो

बातूनेपन का butter ना लगा दो

रुपयों का, ना पैसों का, धन का

ख़ुशियाँ थोड़े से अपनेपन का

रिश्तों पे जो उधार चढ़ता है

ऐसे ही, भैया, प्यार बढ़ता है

धीमे-धीमे व्यवहार बढ़ता है

ऐसे ही, भैया, प्यार बढ़ता है

हो, बगिया हमारी में खिल गईं प्यारी रे

फुलझड़ियाँ, रे फुलझड़ियाँ

बाबू सरकारी जो हमारी तरकारी को बोले बढ़िया

हैं छोले बढ़िया

Pyar Badhta Hai от Divya Kumar/Anurag Saikia - Тексты & Каверы