रूठे रूठे रहते हैं
दुनिया से हम
दुनिया की परवाह ना हुमको सनम
देदे तू ज़ख़्म, से लूँगा मैं
तोड़ दे तू सारे मेरे दिल क भरम
रूठे रूठे रहते हैं
दुनिया से हम
दुनिया की परवाह ना हुमको सनम
देदे तू ज़ख़्म, से लूँगा मैं
तोड़ दे तू सारे मेरे दिल क भरम
रूठे रूठे रहते हैं
दुनिया से हम
दुनिया की परवाह ना हुमको सनम
देदे तू ज़ख़्म, से लूँगा मैं
तोड़ दे तू सारे मेरे दिल क भरम
रूठे रूठे रहते हैं
दुनिया से हम
दुनिया की परवाह ना हुमको सनम
देदे तू ज़ख़्म, से लूँगा मैं
तोड़ दे तू सारे मेरे दिल क भरम
यादो के साइवा कुछ बचा ही नही
और कोई कभी हूमें जचा ही नही
मेरी ग़लती थी मेने सचाई कही
सच तुझे कभी जाना पचा ही नही
मुझसे क्या च्छुपाएगी
मैं जानता हूँ सब्ब
तूने बेवफ़ाई की
मैं मानता था रब्ब
अब मैं पछताउँ
देना प्यार था ग़लत
तुझसे जो लगाव था
वो मारता हाए मॅट
रूठे रूठे रहते हैं
दुनिया से हम
दुनिया की परवाह ना हुमको सनम
देदे तू ज़ख़्म, से लूँगा मैं
तोड़ दे तू सारे मेरे दिल क भरम
रूठे रूठे रहते हैं
दुनिया से हम
दुनिया की परवाह ना हुमको सनम
देदे तू ज़ख़्म, से लूँगा मैं
तोड़ दे तू सारे मेरे दिल क भरम
रूठी-रूठी रहती हूँ
खुदसे ही मैं
एब्ब मतलब मुझे तुझसे ही हाए
तू ना मिला तो क्या हाए खुशी?
तू मिल गया, तो जी लूँगी मैं
आँसुओ’न को तेरे आज
पी लूँगी मैं
करे कोई वफ़ा तो खिलती हूँ मैं
तुजको कोई खबर ही नही
रोज़ च्छुपके से तुझे
मिलती हूँ मैं
रूठे रूठे रहते हैं
दुनिया से हम
दुनिया की परवाह ना हुमको सनम
देदे तू ज़ख़्म, से लूँगा मैं
तोड़ दे तू सारे मेरे दिल क भरम