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Khirki

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एक खीरकी है एक चेहरा है

टूटा शीशा है गिरती शबनम है

वो तो दीनो रात मेरी आँखों में है

क्या अब भी मै उसके रस्तों में हूँ

रस्तों में हूँ

एक सीढ़ी है एक रस्ता है

कोई अपना है या फिर सपना है

वो तो दीनो रात मेरी आँखों में है

क्या अब भी मै उसके रस्तों में हूँ

रस्तों में हूँ

पैरों तले सूखे पत्तों की झंकार

और बादलों में बहता हुआ प्यार

एक खीरकी है एक चेहरा है

टूटा शीशा है गिरती शबनम है

वो तो दीनो रात मेरी आँखों में है

क्या अभी में उसके रस्तों में हूँ

रस्तों में हूँ

रस्तों में हूँ

रस्तों में हूँ

रस्तों में हूँ

रस्तों में हूँ

रस्तों में हूँ

रस्तों में

Khirki от K. S. Chithra,Kattassery Joseph Yesudas - Тексты & Каверы