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Silsila ye chahat k

Kumar Sanuhuatong
🎵aadesh-sharma🎵huatong
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त न न न त धूम

मौसम ने ली अंग्ड़ाई आई आई

लहरा के बरखा फिर छाई छाई छाई

झोंका हवा का आएगा ये दिया बुझ जाएगा

सिलसिला ये चाहत का ना मैने बुझने दिया हो हूँ

पिया ये दिया

ना बुझा है ना बुझेगा मेरी चाहत का दिया

मेरे पिया अब आजा रे मेरे पिया ओ मेरे पिया

इस दिये के संग जल रहा है मेर रोम रोम और जिया

अब आजा मेरे पिया ओ मेरे पिया

त न न न धूम त

फ़ासला था दूरी थी था जुदाई का आलम

इन्तज़ार में नज़रें थीं और तुम वहाँ थे

झिलमिलाती जगमगाती खुशियों में झूम कर

और यहाँ जल रहे थे हम

फिर से बादल गरजा है गरज गरज के बरसा है

झूम के तूफ़ाँ आया है पर तुझको बुझा नहीं पाया है

ओ पिया ये दिया

चाहें जितना सताये तुझे ये सावन

ये हवा और ये बिजलियाँ

मेरे पिया हो मेरे पिया

त न न न धूम त

देखो ये पगली दीवानी दुनिया से है ये अंजानी

झोंका हवा का आएगा और इसका पिया संग लाएगा

ओ पिया अब आजा मेरे पिया ओ मेरे पिया

सिलसिला ये चाहत का ...

ओ पिया ये दिया

ऐ पिया ऐ पिया ऐ पिया

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