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पलकों के बादल से, कजरारे काजल से

अखियाँ सावन बरसा

यादों के जंगल से, साँसों के संदल से

बंजर ये मन महका

माना मन ये ग़म-ज़दा है

दिल ना दुखे तो क्या मज़ा है

गर्जन दे, बरसन दे

बस दो रूहों की ये बूँदा-बाँदी

(पलकों के बादल से, कजरारे काजल से)

(अखियाँ सावन बरसा)

सूनी सड़क पर ये सूना सफ़र लेके

आए शहर तेरे, हम सारा घर लेके

सूनी सड़क पर ये सूना सफ़र लेके

आए शहर तेरे, हम सारा घर लेके

(संग में विधाता है, चंदा का छाता है)

(तू ही बता तेरा रस्ता किधर देखें?)

पता तेरा लापता है

बता मेरी क्या ख़ता है?

माना मन ये ग़मज़दा है

दिल ना दुखे तो क्या मज़ा है

गर्जन दे, बरसन दे

बस दो रूहों की ये बूँदा-बाँदी

(पलकों के बादल से, कजरारे काजल से)

(अखियाँ सावन बरसा)

गा-पा-नी-सा-नी-सा

नी-सा-रे-पा-गा-गा-रे

(पलकों के बादल से, कजरारे काजल से)

(अखियाँ सावन बरसा)

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