मुबारक बेगम - मुझ को अपने गले लगा लो,
ऐ मेरे हमराही
मुझ को अपने गले लगा लो,
ऐ मेरे हमराही
तुमको क्या बतलाऊं मैं
के तुमसे कितना प्यार है
रफ़ी - मुझ को अपने गले लगा लो,
ऐ मेरे हमराही
तुमको क्या बतलाऊं मैं
के तुमसे कितना प्यार है
मुझ को अपने गले लगा लो
मुबारक बेगम - जब तुम मुझसे दूर रहते हो
जिया मेरा घबराता है
नींद आँखों से उड़ जाती है
चाँद अगन बरसाता है
दोनों पहलू जल जाते हैं
आग में आग लगाता है
जैसे तड़पे बिन जल मछली
प्यार मुझे तड़पाता ,,,है,,,,,,,,,
प्यार मुझे तड़पाता है
इस उल्झन से मुझ को बचालो,
ऐ मेरे हमराही
तुझको क्या बतलाऊं मैं
के तुमसे कितना प्यार है
रफ़ी - मुझ को अपने गले लगा लो
ऐ मेरे हमराही
तुमको क्या बतलाऊं मैं
के तुमसे कितना प्यार है
मुझ को अपने गले लगा लो
रफ़ी - जिन राहों पर हँसके चलो तुम
फूल वहाँ खिल जाते हैं
दम लेने को जहाँ रुको तुम
मधुशाले बन जाते हैं
तुमको छूकर पवन झकोरे
खूशबू लेकर जाते हैं
लेकिन हम तो देखें सूरत
दिल थामे रह जाते,,,,,,,,,, हैं,,,,,,,,,,,,,
दिल थामे रह जाते हैं
दिल से दिल के तार मिला लो,
ऐ मेरे हमराही
तुमको क्या बतलाऊं मैं
के तुमसे कितना प्यार है
मुबारक बेगम - मुझ को अपने गले लगा लो